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कमीशन के पैसों का विवाद बना मौत का कारण: जशपुर पुलिस ने अधजले शव की गुत्थी सुलझाई, तीन गिरफ्तार–दो फरार


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जशपुरनगर।

तुरीटोंगरी के शांत जंगल में उस सुबह आग की राख के बीच अधजली देह का भयावह दृश्य पुलिस के सामने था। चेहरा पहचानने लायक नहीं, शरीर का अधिकांश हिस्सा जला हुआ… हवा में पेट्रोल और राख की तीखी गंध। ऐसा लग रहा था मानो किसी ने सच को भी जलाकर खत्म कर देने की कोशिश की हो। यह कोई साधारण मौत नहीं थी—यह एक खौफनाक साजिश थी, जिसमें झारखंड में मजदूरी के दौरान मिले कमीशन के पैसों ने खून की कीमत तय कर दी।


18 अक्टूबर की सुबह पुराना नगर स्थित तुरीटोंगरी जंगल में एक युवक का अधजला शव मिलने से सनसनी फैल गई। सिटी कोतवाली पुलिस मौके पर पहुँची, लेकिन पहचान करना लगभग नामुमकिन था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में स्पष्ट हुआ—यह हत्या है। इसके बाद पुलिस ने बीएनएस की धारा 103(1) और 238(क) के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू की।


टेक्निकल और मुखबिर टीम की मेहनत—शव की पहचान हुई

लगातार सर्विलांस, मुखबिर तंत्र और तकनीकी जांच की बदौलत मृतक की पहचान ग्राम सीटोंगा निवासी सीमित खाखा (28 वर्ष) के रूप में हुई। सीमित कुछ दिन पहले गांव के साथियों के साथ झारखंड के हजारीबाग मजदूरी के लिए गया था, मगर लौटकर नहीं आया।


कमीशन के पैसों को लेकर विवाद और फिर मौत

जांच में सामने आया कि सीमित के साथ ही उसके गांव के साथी—

रामजीत राम (25 वर्ष)

वीरेन्द्र राम (24 वर्ष)

और एक 17 वर्षीय नाबालिग


इस हत्या में शामिल थे। आरोपी गिरफ्तार कर लिए गए हैं, जबकि दो आरोपी अभी फरार हैं, जिनकी पहचान हो चुकी है।


पुलिस पूछताछ में आरोपियों ने बताया—झारखंड में मजदूरी के दौरान मिले कमीशन के पैसों को लेकर विवाद बढ़ गया था। 17 अक्टूबर की शाम सभी आरोपी और सीमित टोली पुलिया के पास शराब पी रहे थे। नशे में बहस इतनी बढ़ी कि वीरेन्द्र राम ने सीमित के सिर पर लोहे के पाइप से वार किया और रामजीत ने कोहनी से गला दबा दिया। मौके पर ही सीमित की मौत हो गई।


हत्या के बाद आरोपी शव को बाइक से लेकर जंगल में फेंक आए। देर रात पेट्रोल डालकर शव को जला दिया ताकि पहचान मिट सके।


पुलिस टीम की बड़ी सफलता

इस हत्याकांड का पर्दाफाश करने में सिटी कोतवाली प्रभारी निरीक्षक आशीष कुमार तिवारी, उपनिरीक्षक सोमराज ठाकुर, आरक्षक विनोद तिग्गा, हेमंत कुजूर, नगर सैनिक शोभनाथ सिंह, थानेश्वर देशमुख, साइबर सेल प्रभारी निरीक्षक मोरध्वज देशमुख, उपनिरीक्षक नसीरुद्दीन अंसारी, प्रधान आरक्षक अनंत मिंज, आरक्षक किस्गोट्टा व अनित सिंह की महत्वपूर्ण भूमिका रही।


छोटा लालच, बड़ी साजिश… और मौत

सिर्फ कुछ पैसों के कमीशन ने रिश्तों को खून में बदल दिया। यह घटना न सिर्फ अपराधियों की क्रूरता दिखाती है, बल्कि मजदूरी और ठेकेदारी के चक्र में फंसे युवाओं के बीच बढ़ते विवादों की एक कड़वी सच्चाई भी उजागर करती है।

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