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कुरूद में पुलिस के नाक के नीचे सेंध! एसडीओपी कार्यालय से चंद कदम दूर तीन दुकानों में चोरी, सुरक्षा व्यवस्था पर करारा सवाल



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कुरूद।

अगर अपराधी पुलिस को चुनौती देना चाहें – तो वो कुरूद का नक्शा देख लें। बीती रात चोरों ने एसडीओपी कार्यालय कुछ ही कदम दूर, सांघा चौक मेन रोड पर तीन दुकानों के शटर उठाकर चोरी की वारदात को अंजाम दिया और रफूचक्कर हो गए। यह घटना न केवल पुलिस की चौकसी पर सवाल खड़ा करती है, बल्कि सीधे-सीधे एसडीओपी कार्यालय की नाक के नीचे सुरक्षा पर बड़े प्रश्न चिह्न लगा रही है।

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अज्ञात मोटरसाइकिल सवार चोरों ने अमित गुप्ता डेली नीड्स, कमला मेडिकल और पद्मनाभ ट्रेडर्स में सेंधमारी कर नकदी पर हाथ साफ किया। चौंकाने वाली बात यह कि संदिग्ध मोटरसाइकिल 2:43 बजे रात को सीसीटीवी में कैद है, जबकि पुलिस गश्त 3:30 बजे तक क्षेत्र में होने की बात बताती है। सवाल उठता है—गश्त हुई, तो चोर कैसे घूमते रहे? और अगर चोर घूमते रहे, तो गश्त कहाँ थी?

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नगर का यह वह इलाका है जहाँ न केवल एसडीओपी कार्यालय और पुलिस है, बल्कि अनेक जनप्रतिनिधि भी निवास करते हैं। इसके बावजूद चोरी—यह बताने को काफी है कि अपराधियों में कानून का भय नहीं और पुलिस तंत्र में सतर्कता का अभाव है।


स्थानीय व्यापारी और नागरिकों ने कहा कि जब एसडीओपी कार्यालय के साये में दुकानों की सुरक्षा नहीं, तो आम नागरिक की सुरक्षा की कल्पना कैसे की जाए? लोगों में नाराजगी और रोष स्पष्ट है।


अब बॉल पुलिस के पाले में है — साबित करना पड़ेगा कि अपराधियों को सुरक्षा का लाइसेंस नहीं मिला है।

नगरवासी मांग कर रहे हैं—सख्त कार्रवाई, तेज पहचान और रात्री गश्त में सख्त सुधार।


कुरूद पूछ रहा है—

"जब एसडीओपी ऑफिस के पास चोरी मुमकिन है, तो शहर किस भरोसे सुरक्षित है

कुरूद। अगर अपराधी पुलिस को चुनौती देना चाहें – तो वो कुरूद का नक्शा देख लें। बीती रात चोरों ने एसडीओपी कार्यालय और पुलिस अनुविभाग कार्यालय से कुछ ही कदम दूर, सांघा चौक मेन रोड पर तीन दुकानों के शटर उठाकर चोरी की वारदात को अंजाम दिया और फरार हो गए। यह घटना न केवल पुलिस की चौकसी पर सवाल खड़ा करती है, बल्कि सीधे-सीधे एसडीओपी कार्यालय की नाक के नीचे सुरक्षा पर बड़े प्रश्न चिह्न लगा रही है।


अज्ञात मोटरसाइकिल सवार चोरों ने अमित गुप्ता डेली नीड्स, कमला मेडिकल और पद्यनाथम ट्रेडर्स में सेंधमारी कर नकदी पर हाथ साफ किया। चौंकाने वाली बात यह कि संदिग्ध मोटरसाइकिल 2:43 बजे रात को सीसीटीवी में कैद है, जबकि पुलिस गश्त 3:30 बजे तक क्षेत्र में होने की बात बताती है। सवाल उठता है—गश्त हुई, तो चोर कैसे घूमते रहे? और अगर चोर घूमते रहे, तो गश्त कहाँ थी?


नगर का यह वह इलाका है जहाँ न केवल एसडीओपी कार्यालय और पुलिस है, बल्कि अनेक जनप्रतिनिधि भी निवास करते हैं। इसके बावजूद चोरी—यह बताने को काफी है कि अपराधियों में कानून का भय नहीं और पुलिस तंत्र में सतर्कता का अभाव है।


स्थानीय व्यापारी और नागरिकों ने कहा कि जब एसडीओपी कार्यालय के साये में दुकानों की सुरक्षा नहीं, तो आम नागरिक की सुरक्षा की कल्पना कैसे की जाए? लोगों में नाराजगी और रोष स्पष्ट है।


अब बॉल पुलिस के पाले में है — साबित करना पड़ेगा कि अपराधियों को सुरक्षा का लाइसेंस नहीं मिला है।

नगरवासी मांग कर रहे हैं—सख्त कार्रवाई, तेज पहचान और रात्री गश्त में सख्त सुधार।



कुरूद पूछ रहा है—

"जब एसडीओपी ऑफिस के पास चोरी मुमकिन है, तो शहर किस भरोसे सुरक्षित है

कुरूद। अगर अपराधी पुलिस को चुनौती देना चाहें – तो वो कुरूद का नक्शा देख लें। बीती रात चोरों ने एसडीओपी कार्यालय और पुलिस अनुविभाग कार्यालय से कुछ ही कदम दूर, सांघा चौक मेन रोड पर तीन दुकानों के शटर उठाकर चोरी की वारदात को अंजाम दिया और फरार हो गए। यह घटना न केवल पुलिस की चौकसी पर सवाल खड़ा करती है, बल्कि सीधे-सीधे एसडीओपी कार्यालय की नाक के नीचे सुरक्षा पर बड़े प्रश्न चिह्न लगा रही है।


अज्ञात मोटरसाइकिल सवार चोरों ने अमित गुप्ता डेली नीड्स, कमला मेडिकल और पद्यनाथम ट्रेडर्स में सेंधमारी कर नकदी पर हाथ साफ किया। चौंकाने वाली बात यह कि संदिग्ध मोटरसाइकिल 2:43 बजे रात को सीसीटीवी में कैद है, जबकि पुलिस गश्त 3:30 बजे तक क्षेत्र में होने की बात बताती है। सवाल उठता है—गश्त हुई, तो चोर कैसे घूमते रहे? और अगर चोर घूमते रहे, तो गश्त कहाँ थी?


नगर का यह वह इलाका है जहाँ न केवल एसडीओपी कार्यालय और पुलिस है, बल्कि अनेक जनप्रतिनिधि भी निवास करते हैं। इसके बावजूद चोरी—यह बताने को काफी है कि अपराधियों में कानून का भय नहीं और पुलिस तंत्र में सतर्कता का अभाव है।


स्थानीय व्यापारी और नागरिकों ने कहा कि जब एसडीओपी कार्यालय के साये में दुकानों की सुरक्षा नहीं, तो आम नागरिक की सुरक्षा की कल्पना कैसे की जाए? लोगों में नाराजगी और रोष स्पष्ट है।


अब बॉल पुलिस के पाले में है — साबित करना पड़ेगा कि अपराधियों को सुरक्षा का लाइसेंस नहीं मिला है।

नगरवासी मांग कर रहे हैं—सख्त कार्रवाई, तेज पहचान और रात्री गश्त में सख्त सुधार।


कुरूद पूछ रहा है—

"जब एसडीओपी ऑफिस के पास चोरी मुमकिन है, तो शहर किस भरोसे सुरक्षित है


पुलिस जांच में जुटी है, लेकिन अब नतीजे ही भरोसा वापस ला पाएंगे।

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