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जब नारी शक्ति ने भरी हुंकार — कुरूद में 'नशामुक्त समाज' के पुनर्जागरण की क्रांति!



धमतरी जिले में सामाजिक उत्थान की एक नई और ऐतिहासिक गाथा लिखी गई है। रेस्ट हाउस सभागार, कुरूद में आयोजित “मोर गांव मोर अभियान” के तहत महिला कमांडो प्रशिक्षण शिविर ने नशामुक्त समाज के लिए एक महा-आंदोलन का बिगुल बजा दिया है। सरपंच संघ कुरूद और समाज कल्याण विभाग धमतरी के सहयोग से हुए इस आयोजन में हजारों महिला कमांडो ने एक साथ नशे के खिलाफ हुंकार भरते हुए संकल्प लिया कि वे अपने गांव को 'नशा-मुक्त' बनाकर रहेंगी।

यह सिर्फ प्रशिक्षण नहीं था, बल्कि यह घोषणा थी कि अब "बदलाव की डोर मातृशक्ति के हाथ में है।" सभागार में गूंजती महिला कमांडो की सामूहिक आवाज़, "हम बदलाव हैं, हम प्रहरी हैं, हम गांव को नशे से मुक्त कर रहेंगे!", ने स्पष्ट कर दिया कि सामाजिक बुराइयों का समय अब खत्म हो चुका है।

कलेक्टर मिश्रा का संदेश: "नशा मिटेगा तो समाज बचेगा"

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कलेक्टर अविनाश मिश्रा ने अपने प्रेरक संबोधन में इस अभियान को 'सामाजिक पुनर्जागरण की नई क्रांति' बताया। उन्होंने कहा कि "नशा सिर्फ व्यक्ति नहीं, पूरे परिवार को खत्म कर देता है।"

कलेक्टर का आह्वान:

"कभी त्यौहार और मेलों से गांवों में एकता झलकती थी, आज नशे ने समाज को तोड़ दिया है। अब वक्त है कि हर महिला समाज की प्रहरी बनकर युवाओं को सही राह दिखाए। जब मातृशक्ति आगे आती है, तो कोई भी बुराई टिक नहीं पाती।"

जीवन अमूल्य! सड़क सुरक्षा पर भी दिया विशेष जोर

कलेक्टर ने हाल ही में हुई एक सड़क दुर्घटना पर चिंता व्यक्त करते हुए महिला कमांडो को 'सड़क सुरक्षा की दूत' बनने का भी आग्रह किया। उन्होंने स्पष्ट कहा, "जीवन अनमोल है। वाहन चलाते समय हेलमेट अवश्य पहनें और नशे की हालत में कभी वाहन न चलाएं।"

पुलिस प्रशासन का साथ: "आपकी हिम्मत इस जंग की सबसे बड़ी ताकत"

एडिशनल एसपी मणिशंकर चंद्रा ने महिला कमांडो के साहस की सराहना करते हुए कहा, "नशा व्यक्ति की सोच और परिवार की शांति को नष्ट करता है, लेकिन अब महिला कमांडो की यह जागृति उसे खत्म कर देगी। पुलिस प्रशासन आपके साथ है।" उन्होंने महिला कमांडो को 'समाज की प्रहरी' बताते हुए उनके एक कदम को 'नशामुक्त भविष्य की दिशा में मील का पत्थर' बताया।

पद्मश्री शमशाद बेगम से मिली प्रेरणा

पद्मश्री शमशाद बेगम ने अपने संबोधन में कहा कि "जब महिलाएं संकल्प लेती हैं, तो परिवर्तन निश्चित होता है।" उन्होंने महिला कमांडो को बताया कि वे अब घर की नहीं, समाज की दिशा तय कर रही हैं, और 'नेतृत्व, सहयोग और आत्मविश्वास' ही उनके तीन सूत्र हैं।

हजारों कमांडो की ऐतिहासिक प्रतिज्ञा: "हर दिल में परिवर्तन की ज्योति जलाएंगे"

कार्यक्रम का समापन एक ऐतिहासिक पल के साथ हुआ, जब हजारों महिला कमांडो ने एक स्वर में हाथ उठाकर यह प्रतिज्ञा ली:

"हम गांव को नशे से मुक्त करेंगे, हर घर में जागरूकता और हर दिल में परिवर्तन की ज्योति जलाएंगे।"

तालियों और जयघोष से गूंजते सभागार ने संदेश दिया कि कुरूद ने एक बार फिर दिखाया है— "जब नारी जागे, तो समाज झुके नहीं — बल्कि आगे बढ़े।" यह आंदोलन अब केवल कुरूद तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह छत्तीसगढ़ के हर गांव को नशामुक्त करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

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