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जुआ पर एक्शन का अजीब इनाम !



धमतरी जिले में पुलिसिंग को 'कसावट' देने की प्रशासनिक नीति उस वक्त सवालों के घेरे में आ गई, जब कुरूद थाना प्रभारी राजेश जगत का स्थानांतरण जुए के अड्डे पर सटीक और साहसी कार्रवाई के महज दो दिन बाद ही कर दिया गया। कुरूद से अर्जुनी थाना प्रभारी के पद पर भेजे जाने की इस खबर ने पूरे जिले में बवाल खड़ा कर दिया है, जिससे यह सवाल उठ रहा है: क्या जुए के खिलाफ सख्त एक्शन लेना अपराध बन गया है?

दो दिन पहले 'सराहना', दो दिन बाद 'स्थानांतरण'

मंगलवार की रात, थाना प्रभारी राजेश जगत ने धमतरी पुलिस और कुरूद थाना टीम के साथ मिलकर जुए के एक बड़े अड्डे पर छापा मारा और कई आरोपियों को दबोचा। यह कार्रवाई पुलिस अधीक्षक (एसपी) के निर्देशों पर आधारित थी, जो अवैध गतिविधियों पर सख्ती बरतने की नई नीति का हिस्सा थी।

कार्यकुशलता और साहस की मिसाल बनी इस कार्रवाई को गुरुवार को मिले तबादले के आदेश ने 'अजीब इनाम' में बदल दिया। जनता और पुलिस हलकों में यह चर्चा तेज़ है कि इस तत्काल तबादले के पीछे की मंशा क्या है?

"ईमानदार पुलिसिंग का पुरस्कार तबादला है?" — यह सवाल अब धमतरी के हर चौराहे पर गूंज रहा है।

एसपी का पक्ष: 'प्रदर्शन मूल्यांकन' और 'कसावट'

इस पूरे विवाद पर धमतरी के पुलिस अधीक्षक ने सामूहिक तबादलों की नीति को सामने रखा है। एक साथ छह थाना प्रभारियों का फेरबदल करते हुए, एसपी ने आधिकारिक बयान में कहा कि यह निर्णय "साक्षात्कार, प्रदर्शन मूल्यांकन और फील्ड रिपोर्ट" पर आधारित है।

एसपी की मंशा स्पष्ट:

लक्ष्य: अपराध पर नियंत्रण, अवैध गतिविधियों पर सख्ती और जनता में पुलिस के प्रति विश्वास बढ़ाना।

सख्ती: "किसी भी प्रकार की लापरवाही या पक्षपात बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।"

प्रशासनिक स्तर पर कहा गया है कि यह कदम पुलिसिंग को और तेज, पारदर्शी और जवाबदेह बनाने के लिए उठाया गया है, जिसमें जुआ, सट्टा, एनडीपीएस और आबकारी अपराधों पर लगातार एक्शन जारी रहेगा।

जन आक्रोश: 'सिस्टम की विडंबना'

कुरूद नगर और ग्रामीण क्षेत्रों की जनता इस फैसले को 'सिस्टम की विडंबना' बता रही है। उनका मानना है कि जब कोई अधिकारी ईमानदारी से जुआ-सट्टा जैसी अवैध गतिविधियों पर रोक लगाता है, तो उसे प्रोत्साहन मिलना चाहिए, न कि तबादला झेलना पड़े।

एक वरिष्ठ नागरिक ने कहा, "अगर कोई थानेदार सच्चाई से काम करे और जुआ-सट्टा पर रोक लगाए, तो उसे प्रोत्साहन मिलना चाहिए, न कि तबादला।"

बड़ा सवाल: मनोबल या मूल्यांकन?

यह घटना धमतरी पुलिस की उस महत्वाकांक्षी नीति पर सवालिया निशान लगाती है, जिसका मकसद ग्राउंड विजिबिलिटी बढ़ाना और अवैध धंधों को बंद करना है।

यदि त्वरित और सफल कार्रवाई करने वाले अधिकारी को तुरंत हटा दिया जाता है, तो यह सवाल उठना लाज़मी है कि: क्या धमतरी पुलिस 'फील्ड में काम करने वालों' को जवाबदेही दिखाने पर हटाती रहेगी? और अगर ऐसा ही होता रहा, तो किसी भी थाने में एक सशक्त और कारगर टीम कैसे बन पाएगी, जो अपराधी नेटवर्क को जड़ से उखाड़ सके?

क्या हमारे सिस्टम में अब भी ईमानदारी की कीमत तबादले से चुकानी पड़ती है? इस प्रश्न का उत्तर धमतरी पुलिस के अगले कदम पर निर्भर करेगा।

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