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“बसंत बिश्नोई: जिनकी सोच ने दिव्यांगता को अवसर में बदला — आत्मनिर्भर भारत की सच्ची प्रेरणा!”

धमतरी।

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कहते हैं — “जब सोच सच्ची हो और नीयत साफ, तो व्यवस्था भी साथ देती है।”

इसी सोच को साकार किया है बसंत बिश्नोई ने, जिन्होंने अपनी दिव्यांगता को कमजोरी नहीं बल्कि सशक्तिकरण और आत्मनिर्भर भारत की प्रेरणा बना दिया।


बसंत की यात्रा यह साबित करती है कि अगर संकल्प अटूट हो, तो सीमाएँ भी सलाम करती हैं।

उनकी कहानी भावनाओं की नहीं — विचार, परिश्रम और परिणाम की कहानी है।


1995 से शुरू हुआ संघर्ष और सेवा का सफर


बसंत बिश्नोई की समाजसेवा की शुरुआत साल 1995 से हुई, जब वे कक्षा छठवीं के छात्र थे।

उसी उम्र में उन्होंने पल्स पोलियो अभियान में भाग लेकर समाजसेवा की राह पकड़ ली।

उनका उद्देश्य स्पष्ट था — “दिव्यांगों को सहानुभूति नहीं, अवसर और सम्मान दिलाना।”


उनकी निष्ठा को पहचान मिली जब साल 2008 में उन्हें मध्यप्रदेश विकलांग मंच में ब्लॉक अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई।

उन्होंने यह जिम्मेदारी निष्ठा से निभाई और समाज में दिव्यांग जागरूकता का नया अध्याय लिखा।



सामाजिक समरसता से नई दिशा — विवाह और सेवा का संगम


बसंत बिश्नोई ने खंडवा में 8 दिव्यांग जोड़ों के पहले सामूहिक विवाह की पहल में अग्रणी भूमिका निभाई।

बाद में साल 2013 में अखिल भारतीय चेतना परिषद, रायपुर के मंच से उनका विवाह संपन्न हुआ।

इसके बाद वे छत्तीसगढ़ के धमतरी में स्थायी रूप से बस गए और यहीं से दिव्यांग सशक्तिकरण आंदोलन की नई शुरुआत की।

जब पूर्व कलेक्टर श्रीमती नमता गांधी से मिली उम्मीद की किरण


बसंत बिश्नोई ने महसूस किया कि दिव्यांगों की सबसे बड़ी चुनौती रोजगार की कमी है।

उन्होंने साल 2024 में तत्कालीन कलेक्टर श्रीमती नमता गांधी को आवेदन देकर अनुरोध किया कि

“नए बस स्टेशन खपरी में दिव्यांगों को दो दुकानें आवंटित की जाएँ, ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें।”


श्रीमती नमता गांधी ने उनके इस प्रस्ताव की सराहना की और इसे प्रशासनिक स्तर पर व्यवहारिक रूप देने के लिए पहल शुरू की।

इस दौरान बसंत बिश्नोई ने कल्पवृक्ष जैन महिला ट्रस्ट के अध्यक्ष से भी मुलाकात की,

जिन्होंने उन्हें कैंटीन परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया।


वर्तमान कलेक्टर श्री अविनाश मिश्रा ने सपना साकार किया — आत्मनिर्भरता को मिली मंज़िल


जब श्री अविनाश मिश्रा ने धमतरी के कलेक्टर के रूप में कार्यभार संभाला,

तो उन्होंने बसंत बिश्नोई के कार्यों और उनके उद्देश्य को नजदीक से देखा।


तेली शक्ति दिव्या गोपाल धाम के कार्यक्रम में बसंत ने स्वयं अपने हाथों से तैयार भोजन कलेक्टर को परोसा।

भोजन का स्वाद लेते ही कलेक्टर मिश्रा ने मुस्कराते हुए कहा — “बसंत जी, आपके हाथों का स्वाद नहीं — यह समर्पण और आत्मविश्वास का स्वाद है।”


उन्होंने तुरंत आदेश दिया कि “कलेक्टर परिसर में दिव्यांग कैंटीन बनाई जाए।”

सिर्फ एक सप्ताह में कैंटीन तैयार हुई और 3 सितंबर 2023 को उसका शुभारंभ कलेक्टर मिश्रा के हाथों संपन्न हुआ।

आज यह कैंटीन न केवल सफल है, बल्कि धमतरी जिले के हर कर्मचारी और अधिकारी के बीच ‘दिव्यांग स्वाभिमान कैंटीन’ के नाम से प्रसिद्ध हो चुकी है।

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“रोजगार से सम्मान तक” — बसंत बिश्नोई की सोच बनी नीति

कलेक्टर मिश्रा की प्रेरणा से अब जिले के कई विभागों के कर्मचारी इसी कैंटीन से नाश्ता करते हैं।

साथ ही, कल्पवृक्ष जैन महिला ट्रस्ट ने शासकीय अस्पताल परिसर के सामने एक और कैंटीन शुरू की,

जिसे दृष्टिबाधित मां-बेटे की जोड़ी चला रही है — यह सच्चे अर्थों में आत्मनिर्भर भारत की मिसाल है।

बसंत बिश्नोई कहते हैं — “हमारे दिव्यांग भाई-बहन नौकरी के पीछे नहीं, अपने रोजगार के पीछे दौड़ें।

जब हम आत्मनिर्भर बनेंगे, तभी सच्चे अर्थों में भारत आत्मनिर्भर बनेगा।”


जब दिव्यांग बने आत्मनिर्भर भारत की प्रेरणा

बसंत बिश्नोई की यह कहानी बताती है कि संघर्ष जब सोच से जुड़ता है, तो बदलाव जन्म लेता है।

पूर्व कलेक्टर श्रीमती नमता गांधी ने उनके सपने को दिशा दी,

और वर्तमान कलेक्टर श्री अविनाश मिश्रा ने उस सपने को वास्तविकता में बदल दिया “बसंत बिश्नोई सिर्फ एक नाम नहीं —

वह प्रतीक हैं उस भारत के, जहाँ हर दिव्यांग अवसरों का निर्माता बन सकता है।”

दिव्यांग प्रेरणा जन कल्याण समिति, जिला धमतरी की ओर से दीपावली की मंगलकामनाएँ — “हर हाथ में हुनर, हर दिल में आत्मविश्वास,

हर दिव्यांग बने आत्मनिर्भर भारत की प्रेरणा।”

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